“समस्या” के बारे मे सोचने से,
बहाने मिलते है ,
“समाधान” के बारे मे सोचने से,
रास्ते मिलते है।
“समस्या” के बारे मे सोचने से,
बहाने मिलते है ,
“समाधान” के बारे मे सोचने से,
रास्ते मिलते है।
“कमजोर” तब रुकते है,
जब वे थक जाते है ,
और,
“विजेता” तब रुकते है,
जब वे जीत जाते है ।
रामायण में दो व्यक्ति थे,
एक
“विभीषण”
और एक “केकई”,
“विभीषण”
रावण
के राज्य में रहते थे,
फिर
भी
नहीं बिगड़े,
“केकई”
राम
के
राज में रहती थी,
फिर
भी
नहीं सुधरी
।
तात्पर्य:-
सुधरना
और
बिगड़ना
केवल
मनुष्य की
सोच
और
स्वभाव
पर
निर्भर होता है ।
जीवन
में बहुत सी मुश्किलें आएंगी,
लेकिन
कभी
शिकायत
मत करना,
क्योंकि
भगवान
ऐसा “डायरेक्टर” है,
जो
सबसे
कठिन रोल,
“बेस्ट
एक्टर” को ही
देते है ।
खामोश
रहता हूं ,
क्योंकि
अभी
दुनिया को
“समझ”
रहा
हूं,
समय
जरूर लुंगा,
लेकिन
जिस
दिन
आगे
बढूंगा,
एक
“इतिहास”
रचूगा।
पृथ्वी
पर कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है,
जिसको
“समस्या”
न
हो,
और
पृथ्वी
पर
कोई समस्या ऐसी नहीं है,
जिसका
कोई
“समाधान” न
हो ।
“मैं
श्रेष्ठ
हूं”
यह
आत्मविश्वास
है,
लेकिन,
“सिर्फ
मैं
ही श्रेष्ठ हूं” यह
अहंकार
है ।
जिंदगी
को आसान नहीं बस,
“खुद
को
मजबूत”
बनाना
पड़ता है,
उत्तम
समय
कभी नहीं आता,
“समय
को
उत्तम”
बनाना
पड़ता
है।
जब
“दर्द”
और “कड़वी बोली”
दोनों
मीठी लागने लगे,
तब
समझ लीजिये,
जीना
आ गया ।
जब
जब जग,
जिस
पर “हंसा” है,
तब
तब
उसी ने,
“इतिहास” रचा
है।
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