Saturday 21 December 2019

#12 दो मेंढक- किसी काम मे सफलता पाने मे प्रोत्साहन का महत्व

जीवन मे किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए होसला होना बहुत जरूरी है, परंतु कई बार हम अपनी विभलताओ से बहुत हतास हो जाते है, उस समय हमे किसी सहारे की जरूरत पड़ती है जो की आप का होसला बड़ा सके, परंतु आज के जमाने मे ऐसे लोग कम ही मिलते है और जो लोग आप को मिलेंगे वे ज़्यादातर आप की कमियो को ही आप को बताएँगे, न की आप की ताकत आप को याद दिलायेंगे। आइए एक कहानी से इसी बात को समझते है:-

"दो मेंढक"




एक बार दो मेंढक, एक गहरे गड्ढे में गिर गए, दोनों ने उछल कूद कर बाहर निकलने की बहुत कोशिश की परंतु सफल ना हो सके, उनके चिल्लाने की आवाज सुनकर अन्य मेंढक भी वहां आ गए,





सभी मेंढको ने गड्ढे की गहराई और दोनों मेंढक को लहूलुहान देखकर यह मान लिया था कि अब इनका बचना नामुमकिन है, परंतु अन्य मेंढको को देख एक मेंढक दोबारा उछल कूद करने लगा, जिससे उसे चोट लग रही थी




उसकी हालत देखकर, वहाँ खड़े मेंढको ने उसे खुद को चोट पहुँचाने से रोकने की कोशिश की, लेकिन वह दूसरे मेंढकों के चिल्लाने पर और अधिक उछलने लगा और आखिरकार बाहर आ गया।





यह देख सभी मेंढक इस बात से परेशान थे की कैसे एक नामुमकिन काम मुमकिन हो गया?

इसका कारण सिर्फ उस मेंढक का बहरा होना था। जिसके कारण उस मेंढक को अन्य मेंढको की बातें सुनाई नहीं दे रही थी परंतु देखने से उसे ऐसा लग रहा था जैसे सभी मेंढक उसे बाहर निकलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं और इसी प्रोत्साहन से उसे हिम्मत मिल रही थी और अपने जख्मों की परवाह किए बिना वह बाहर आ सका ।

इसी तरह आप को भी इस दुनिया की परवाह किए बगेर स्वम अपने आप को प्रोत्साहित करना होगा, और अपने लक्ष्य को पाना होगा।

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