Saturday 18 January 2020

#17 क्या माता-पिता और बच्चों की बीच दोस्ती होना जरूरी है ??




हर माता-पित्ता ज़्यादातर अपने बच्चो को समझने और समझाने मे गलती करते है। हम भूल जाते है की हमे कितनी समस्याओं का सामना अपने जीवन में करना पड़ा उतनी आपके बच्चों को भी करना पड़ सकता है, तो क्यो न उन्हे उस बारे मे पहले ही बता दे ताकि वे पहले ही संभल सके। हर बच्चे का जीवन एक कोरी किताब की तरह होता है, जिसे वह खुद लिखता है, वह हर वो काम करने की कोशिश करता है जो की वह देखता है, आप ने ज़्यादातर देखा होगा, हर बच्चा सबसे पहले अपने माता-पिता की नकल करना शुरू करता है, फिर वह चाहे सही हो या गलत, परंतु यहा तो हम उसे सही गलत का फर्क बता कर उसे समझा देते है की कौन सा काम उसके लिए सही और और कौन सा गलत, और बच्चे का आप पर विश्वास होता है इसलिए बच्चा मान भी जाता है, परतू जब वह अनजान लोगो के संपर्क मे आता है तो वे अनजान लोग आपके बच्चे का सिर्फ फाइदा उढ़ाते है या तो उन्हे तकलीफ मे डालने की कोशिश करते है, परिवार के अलावा बहुत कम लोग ही ऐसे मिलते है जो की उन्हे सही राह दिखते है।

जैसे हम बात करे 1-5 साल के बच्चो की तो उनका सबसे पहला काम होता है “बोलना”, किस व्यक्ति से कैसे बोलना है क्या बोलना है यह सब वह अपने माता पिता या आस-पास के लोगो से ही सीखता है, परंतु आज के जमाने मे मोबाइल और टेलिविजन भी उनके सीखने का साधन होता है, जहा से बच्चा वह सब बाते करना भी सिख लेता है जो की उसके लिए गलत भी हो सकती है, अब यहा पर माता पिता की ज़िम्मेदारी आती है की वह उसे समझाए कि गलत बाते क्या है और सही क्या है, अगर हम ऐसा नहीं करते है तो कुछ समय बाद वह उसकी आदत बन जाएगी, जिसे छूडवाना उसके माता-पिता के लिए ओर मुश्किल होता जाता है।

इसी तरह हम अगर 6-15 साल के बच्चो की बात करे तो उनका पहला काम होता है खेलना-कूदना मस्ती करना, इस उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा रिस्क उढ़ाने वाले काम करते है, क्योकि उन्हे लगता है कि वे हर वो काम करने लायक हो गए है जो काम उनसे बड़े लोग करते है, वे या तो बाइक चलाने की जिद्द करेंगे, या नदी मे खेलेंगे, या ऊचाई से कूदेंगे या और भी बहुत से काम जो की उनकी उम्र के बच्चो के लिए कभी कभी नुकसान दायक भी हो सकते है, अब यहा माता-पिता की यह ज़िम्मेदारी बनती है की वे उन्हे यह बात समझाये की इन सब कामो को सावधानी से किया जाता है ओर अगर वे ऐसा करते है तो उनके साथ साथ, दूसरे लोगो को भी नुकसान हो सकता है और बाइक चलाने पर तो ट्राफिक नियमो के अनुसार आप को भी कानूनी करवाहियों का सामना करना पड़ सकता है।

अब अगर बात करे 16-25 साल की उम्र के युवा बच्चो को समझने और समझाने की, तो इस उम्र के बच्चो के दो मुख्य कार्य होते है, एक होता है अपने कैरियर को बनाने के लिए दिन रात मेहनत करना, और दूसरा होता है नए नए दोस्त बनाने का, और दोस्त भी ऐसे, जिनसे वे हर वो बात साझा करते है जो की वे अपने माता-पिता से भी नहीं करते, यही वो समय होता है जब की बच्चे अपने माता-पिता से दूर होना शुरू होने लगते है क्योकि इस उम्र मे बहुत सी ऐसी बाते होती है जो की माता-पिता को अपने बच्चो को समझनी चाहिए परंतु वे समझा नहीं पाते। जैसे:- लड़के लड़कियो के बीच आकर्षण और उनके बीच प्यार हो जाना, लेट-नाइट पार्टी करना, बिना बताए अनजान जगह पर घूमने जाना, सिगरेट स्मोकिंग करना, अल्कोहल पीना इत्यादि ऐसे काम होते है जो की युवा बच्चे अपने माता-पिता से छुपा कर करते है, और वे छुपाते इसलिए भी है क्योकि वे जान चुके होते है कि कभी भी उनके माता-पिता उन्हे ऐसा करने कि स्वीकर्ति नहीं देंगे।

अब बात यह आती है कि अगर बच्चे माता-पिता कि मर्जी के बिना कोई काम करते है तो वे उन्हे कैसे रोके?


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वैसे आप को उन्हे रोकने कि जरूरत ही नहीं पड़ेगी अगर आप उन्हे ऐसे लोगो की संगति मिलने से पहले ही सही-गलत का फर्क करना सिखा दे। इस धरती पर बहुत से लोग ऐसे होते है जो की स्वयं तो गलत काम करेंगे ही, दूसरे लोगो को भी गलत करने पर मजबूर करने की कोशिश करते है, उन्हे आप तो पहचान नहीं सकते, परंतु आप के बच्चे जरूर उन्हे पहचान सकते है ओर अगर आप के बच्चे को सही-गलत लोगो मे फर्क करना आता है तो वह खुद यह निर्णये ले सकेगा कि किस व्यक्ति की संगति उसके लिए सही रहेगी।

ओर अगर माता-पिता अपने बच्चे के दोस्त बनकर उनसे बात करेंगे तो वे आपको भी वे सब बाते बता सकेंगे जो कि वे सिर्फ अपने दोस्तो से करते है।

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